ट्रेक्टर इंडस्ट्री और इनके बदलते स्वरुप
दोस्तों आज हम कृषि क्षेत्र में बदलते स्वरुप से ट्रैक्टर सेगमेंट में एक नया संस्करण उभर कर खड़ा हो रहा है। कंपनियों के अनुसार छोटी जोत और बदलते खेती के तरीकों की वजह से छोटे ट्रैक्टर की तेजी से डिमांड बढ़ रही है। इस सेगमेंट की बड़ी कंपनियों जैसे महिंद्रा, एस्कॉर्ट, सोनालिका और कैपटन ट्रैक्टर्स को उम्मीद है कि इस साल बेहतर फसल और बेहतर मानसून की उम्मीद को देखते हुए किसानों की ओर से स्मॉल ट्रैक्टर की सेल्स में ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद है।
बढ़ रही है डिमांड
2017-2018 वित्तीय वर्ष में बिक्री में बढ़ोतरी की उम्मीद
भारत में ट्रैक्टर बाजार करीब 5 लाख यूनिट्स (सेल्स के हिसाब से) सालाना है जिसमें से छोटे ट्रैक्टर सेगमेंट की हिस्सेदारी करीब 4 फीसदी है। ट्रैक्टर इंडस्ट्री का मानना है कि मार्च 2018 तक यह सेल्स 6 लाख यूनिट्स हो जाएगी। वहीं, अच्छे मानसून के दम पर छोटे ट्रैक्टर सेगमेंट की सेल्स करीब 30 हजार यूनिट्स रह सकती है।
छोटे ट्रैक्टर का उपयोग
आमतौर पर छोटे ट्रैक्टर का इस्तेमाल मौसमी फैसले जैसे कपास, मूंगफली और सोयाबीन जैसी फलसों के लिए होता है। हालांकि, अब बड़े फसल किसान जैसे गन्ना और दालों के लिए भी छोटे ट्रैक्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं।
अभी तक भारत के पश्चिमी इलाकों में छोटे ट्रैक्टर पॉपुलर है वो भी खासतौर पर गुजरात और महाराष्ट्र में। लेकिन अब दूसरे राज्यों जैसे राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश,आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कनार्टक में भी इसका मार्केट में बढ़ रहा है।
ट्रैक्टर की बिक्री में इजाफा
नोटबंदी के बाद भी ट्रैक्टर की सेल्स में इजाफा दर्ज किया गया है। महिंद्रा और एस्कॉर्ट की सेल्स जनवरी माह में बढ़ी है। जारी आंकड़ों के मुताबिक, महिंद्रा की ट्रैक्टर बिक्री में 6 फीसदी की बढत देखने को मिली जबकि उनकी घरेलु कार की बिक्री 11 फीसदी गिरी थी।वहीं, एस्कॉर्ट की ट्रैक्टर बिक्री में इसी अवधि के दौरान 16 फीसदी की बढत दर्ज की गई है।
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